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साल में सिर्फ एक बार खुलने वाले:400 साल पुराने कार्तिकेय भगवान के पट भक्तों के लिए खुलेें

बता दें कि मंदिर के पुजारी के अनुसार कार्तिकेय के श्राप के कारण 364 दिन उनके दर्शन करना निषेध है, लेकिन कार्तिकेय के जन्मदिवस पर उनके दर्शनों का विशेष महत्व है। इसलिए साल में एक दिन कार्तिक पूणिमा को यह मंदिर खुलता है। कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान् कार्तिकेय के दर्शन के लिए प्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली व गुजरात के लोग दर्शन करने आते है। सुबह से ही भक्त लम्बी कतारों मे कार्तिकेय के दर्शन के लिए खड़े रहे। भक्तो का मानना है कि भगवान कार्तिकेय से जो माँगते वह जल्द ही मिल जाता है। इसलिए वह वर्षो से उनके दर्शन के लिए साल मे एक बार आते है।


ग्वालियर/मध्यप्रदेश।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के जीवाजी गंज में हनुमान चौराहे के पास स्थित 400 साल पुराने कार्तिकेय भगवान के पट भक्तों के लिए खोले गए। दरअसल,साल में सिर्फ एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन खोले जाने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर को रविवार रात 12 बजे खोला गया है। 400 साल पुराने इस मंदिर में सोमवार सुबह 4 बजे से भक्तों के दर्शन की शुरूआत हो चुकी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन मात्र से सारी मन्नत पूरी होती है। आपकों बता दे कि शहर के जीवाजीगंज में कार्तिकेय मंदिर है और यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष आयोजन होते हैं। रविवार रात 12 बजे मंदिर के दरवाजे खोले गए। सबसे पहले भगवान कार्तिकेय के मंदिर को साफ कर धोया गया। इसके बाद उनकी पूजा अर्चना विधि विधान के साथ की गई। जिसके बाद सुबह 4 बजे से आम भक्तों के लिए दर्शन के लिए मंदिर खोल दिया गया रात 12 बजे तक लोग दर्शन कर सकते हैं। मंदिर प्रबंधन ने बताया है कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर आने वालों को कोविड गाइड लाइन का पालन करना होगा। मंदिर में बिना मास्क प्रवेश नहीं हो सकेगा।

साल में एक ही दिन क्यों खोला जाता है मंदिर

मंदिर में दर्शन करतें श्रद्धालु

ऐसा बताया जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा,उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। प्रतियोगिता प्रारम्भ होने के बाद भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार हो तीनो लोकों की परिक्रमा पर चले गए। वहीँ दूसरी ओर भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी। पर जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश की जय-जयकार हो रही है। सभी ने उन्हें भगवान मान लिया है। इस पर वो नाराज हुए खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी विधवा हो जाएगी, पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे। इस पर भगवान शिवने उन्हें समझाया तो क्रोध शांत हुआ। अंत मे शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किये जा सकेंगे। इसलिए साल में ये मंदिर एक दिन के लिए खुलता है।

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