बता दें कि ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने गुना के सहकारिता विभाग के निरीक्षक को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। निरीक्षक ने सेवा समाप्ति के लेटर को निरस्त कर बहाली किए जाने को लेकर 80 हजार की रिश्वत मांगी थी। शिकायत के बाद निरीक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया।
वहीं दूसरी ओर उज्जैन लोकायुक्त ने बिजली विभाग के सहायक यंत्री को 3 हज़ार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
गुना/मध्यप्रदेश।
मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरों पर लोकायुक्त का शिकंजा लगातार कसा हुआ है बावजूद इसके घूसखोर अधिकारियों कर्मचारी रिश्वत लेने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहे।
मध्य प्रदेश की गुना जिले में तीन दिन में लोकायुक्त की दूसरी कार्रवाई हुई है। सहकारिता निरीक्षक को 40 हजार की रिश्वत लेते टीम ने रंगे हाथों पकड़ा। है। उन्होंने लघु वनोपज सोसाइटी के कर्मचारी से सेवा समाप्ति आदेश निरस्त करने और एक और कर्मचारी से सेवा बहाली करने के लिए 80 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। सहकारिता निरीक्षक आरके गांगिल को वह पहली किश्त के रूप में 40 हजार रुपए दे चुके थे। दूसरी किश्त के लिए लगातार दवाब बनाया जा रहा था। इसकी शिकायत आवेदक सतीश बैरागी ने लोकायुक्त से 10 अक्टूबर को की थी। जिसके बाद शनिवार दोपहर लगभग 1:30 बजे ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने छापा मारकर रिश्वत लेते हुए सहकारिता निरीक्षक को रंगे हाथों पकड़ा है।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार,लोकायुक्त के इंस्पेक्टर कवींद्र सिंह चौहान ने बताया कि जगदीश बैरागी विपणन सहकारी समिति बमोरी के प्रबंधक हैं। विशाल किरार लघुपज सहकती समिति फतेहगढ़ के प्रबंधक हैं। विशाल किरार के पहले अतीक कुरेशी समिति प्रबंधक के पद पर पदस्थ थे। उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं थी। इसके बाद उनकी सेवाएं फिर से बहाल कर दी गईं। अतीक कुरेशी ने एक प्रकरण विशाल किरार के खिलाफ सहकारिता एक्ट की धाराओं में लगाया था। उस दावे में विशाल के पक्ष में फैसला कराने और अतीक कुरेशी के सेवा बहाली के आदेश को निरस्त कराने के लिए सहकारिता निरीक्षक आरके गांगिल ने आवेदक से 80 हजार रुपए की मांग की थी। इसमें से 40 हजार रुपए पूर्व में वह ले चुके थे। बाकी 40 हजार रुपए की मांग सहकारिता निरीक्षक पिछले 2-3 महीने से लगातार कर रहे थे। 10 अक्टूबर को आवेदक ने इसकी शिकायत लोकायुक्त ग्वालियर को की थी।
लोकायुक्त की जाल में फंसा रिश्वतखोर
शिकायत होने के बाद लोकायुक्त ने ट्रैप की कार्रवाई आयोजित की लोकायुक्त ने शिकायत को वेरीफाई किया। शिकायत सही पाए जाने पर शनिवार को आवेदन द्वारा 40 हजार रुपए देने का तय हुआ। इसके लिए उन्हें पाउडर लगे 40 हजार रुपए दिए गए थे। दोपहर 1:30 बजे के आसपास जैसे ही उन्होंने सहकारिता निरीक्षक को पैसे दिए, इशारा पाकर लोकायुक्त की टीम ने दबिश देकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। निरीक्षक वह पैसा जेब में ही रख पाए थे, इतने में ही लोकायुक्त ने उन्हें ट्रैप कर दिया। छापे में लोकायुक्त के और भी कई अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
लोकायुक्त ने बिजली कंपनी के सहायक यंत्री (AE) को 3 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया
उज्जैन/मध्यप्रदेश।
उज्जैन में लोकायुक्त पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के सहायक यंत्री (assistant engineer) प्राणेश कुमार को 3 हज़ार की रिश्वत (Bribe) लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। दरअसल सहायक यंत्री द्वारा आउटसोर्स कर्मचारी से रिश्वत की मांग की गई थी।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार,उज्जैन लोकायुक्त ने उज्जैन मक्सी रोड स्थित बिजली दफ्तर के कार्यालय में सहायक यंत्री प्राणेश कुमार को 3 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि फरियादी अरुण चौहान कंपनी की मोहनपुरा ग्रिड पर आउटसोर्स के माध्यम से तैनात है। वह अपने गांव के पास चंदूखेड़ी ग्रिड में ट्रांसफर करवाना चाहता था। फरियादी ने जब सहायक यंत्री से बात की तो उससे 8 हज़ार की रिश्वत की मांग कर दी। फरियादी ने लोकायुक्त को प्राणेश कुमार की शिकायत कर दी।
आरोपी प्राणेश कुमार अपने ही कर्मचारी के ट्रांसफर के नाम पर रिश्वत की मांग कर रहा था। जबकि संविदा कर्मचारी फरियादी को मात्र 9 हज़ार रुपए प्रति माह वेतन के रूप में मिलता है उससे वो 3 हज़ार रुपए की मांग कर रह था। आरोपी सहायक इंजिनियर मूल रूप से दरभंगा का रहने वाला है। उज्जैन में वो ज्योति नगर स्थित एमपीईबी कालोनी में निवास करता है।