भोपाल/ग्वालियर/उज्जैन/मप्र।
उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के बाद अब लोकायुक्त ने भाजपा नेता व तत्कालीन साडा अध्यक्ष राकेश जादौन, तत्कालीन CEO और वर्तमान में निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर सहित 8 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
दरअसल,बीजेपी वरिष्ठ नेता राकेश जादौन और निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर पर लोकायुक्त ने शिकंजा कसा है। राकेश जादौन और तरुण भटनागर पर ग्वालियर मास्टर प्लान में छेड़छाड़ कर सरकार को 1 करोड़ की चपत लगाने के आरोप हैं। ग्वालियर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के अध्यक्ष रहते हुए राकेश जादौन और सीईओ रहते हुए तरुण भटनागर ने अधिकार न होने के बाद भी रायरू डिस्टलरी को आवासीय और सार्वजनिक जमीन पर शराब फैक्टरी के लिए विस्तार की अनुमति दी। इसके लिए अफसरों ने मास्टर प्लान को भी बदल दिया जिससे सरकार को 1 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ। अध्यक्ष राकेश जादौन और सीईओ तरुण भटनागर के खिलाफ केस दर्ज कर जांच की गई।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार,जमीन घोटाले के इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर, भाजपा नेता राकेश जादौन, प्रदेश के बड़े शराब कारोबारी आदिल वापना सहित आठ लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज की है। वर्तमान में निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर जिस समय ग्वालियर के विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी थे, उस समय उन्होंने तत्कालीन अध्यक्ष राकेश जादौन और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन का लैंडयूज ही बदल डाला। जमीन का लैंडयूज बदलकर करोड़ों रुपए कीमत की जमीन रायरू डिस्टलरी को हैंडओवर कर दी। जबकि यह जमीन ग्राम पंचायत के अधीन थी, इसका लैंडयूज बदलने का अधिकार सिर्फ राज्य शासन को था। फिर भी इन लोगों ने पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन का लैंडयूज बदलकर रायरू डिस्टलरी को औद्योगिक विकास और भवन अनुज्ञा जारी कर दी। इतना ही नहीं जब इस घोटाले की खबरें बाहर आई तो यह पूरी फाइल ही गायब करा दी गई। इस घोटाले में शासन को करीब 1.07 करोड़ रुपए की हानि हुई।
2016 में हुआ था जमीन घोटाला
लोकायुक्त पुलिस के निरीक्षक राघवेंद्र ऋषिश्वर ने बताया कि यह जमीन घोटाला 2016 में हुआ था, उस समय साडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आइएएस तरुण भटनागर और अध्यक्ष भाजपा नेता राकेश जादौन थे। उस समय यह लैंडयूज बदलकर ग्वालियर एक्लोब्रियू यानि रायरू डिस्टलरी को औद्योगिक विकास के लिए दे दी। मास्टर प्लान में छेड़छाड़ कर यह पूरा फर्जीवाड़ा हुआ। इसकी शिकायत 23 जनवरी 2020 को आरटीआइ कार्यकर्ता संकेत साहू ने की थी। कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच लोकायुक्त पुलिस ने शुरू की। करीब ढाई साल से यह जांच चल रही थी, अब इस मामले में एफआइआर दर्ज हुई है। लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13-1, 2 और आइपीसी की धारा 120बी के तहत एफआइआर दर्ज की है।
इस जमीन पर हुआ घोटाला
जिनावली, मिलावली, निरावली गांव की 26.59 हैक्टेयर जमीन का यह घोटाला हुआ है। इसे आवासीय, वाणिज्यिक, सार्वजनिक, अद्धसार्वजनिक, हरित क्षेत्र की जमीन का लैंडयूज बदलकर रायरू डिस्टलरी को औद्योगिक विकास एवं भवन अनुज्ञा जारी कर दी गई। 28 मई 2016 को रायरू डिस्टलरी की ओर से 1.35 लाख रुपए शुल्क के साथ आवेदन किया गया था। यह आवेदन उपयंत्री नवल सिंह राजपूत ने तत्कालीन सीइओ और अध्यक्ष को अनुमोदन के लिए भेज दिया। 14.04 लाख रुपए राशि जमा कर इस जमीन पर औद्योगिक विकास एवं भवन अनुज्ञा जारी कर दी गई। जबकि मप्र पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1973 के तहत इस जमीन के संबंध में निर्णय शासन ही कर सकता है। इसमें उपरोक्त लोगों द्वारा पद का दुरुपयोग कर शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाया गया।
इन पर दर्ज हुई एफआईआर
–निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर।
– भाजपा नेता राकेश जादौन।
– तत्कालीन भवन अधिकारी और वर्तमान अधीक्षक यंत्री जल प्रयादा आरएल मौर्य।
– तत्कालीन प्रभारी योजना अधिकारी साडा नवल सिंह राजपूत।
– रायरू डिस्टलरी डायरेक्टर आदिल वापना।
– डायरेक्टर आत्माराम पराते।
– रायरू डिस्टलरी जनरल मैनेजर पीबी मुरलीधरन।
– डाटा एंट्री आपरेटर अहिवरण सिंह चौहान।
उज्जैन में महाकाल लोक के फर्स्ट फेज के कामों में भ्रष्टाचार की शिकायत, अधिकारियों ने ठेकेदार को पहुंचाया फायदा
इससे पहले लोकायुक्त के पास उज्जैन में महाकाल लोक के फर्स्ट फेज के कामों में भ्रष्टाचार की शिकायत आई थी। इसके बाद लोकायुक्त ने 3 आईएएस अफसरों के अलावा 15 अफसरों को नोटिस देकर 28 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। शिकायत में ठेकेदार को करोड़ों का फायदा पहुंचाने के लिए दरें और आइटम को बदलने का आरोप लगाया गया है।
अफसरों ने पद का दुरुपयोग कर ठेकेदार मनोज भाई पुरुषोत्तम भाई बाबरिया को आर्थिक लाभ पहुंचाया, जिससे शासन को रेवेन्यू का नुकसान हुआ। नोटिस में कहा गया है कि लोकायुक्त संगठन की जांच में प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित पाए गए हैं। लोकायुक्त के नोटिस में तीन आईएएस उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार,शिकायत में महाकाल लोक के पहले चरण में जो पार्किंग का निर्माण किया गया है उसमें तय गुणवत्ता से हल्का काम किया गया और इसके लिए ठेकेदार को भुगतान भी बिना किसी बिलों की जांच अथवा निरीक्षण के बाद कर दिया गया। अधिकारियों ने इस पर किसी तरह की आपत्ति भी ज़ाहिर नहीं की।
महाकाल मंदिर के विस्तार प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी उज्जैन प्रशासन के साथ स्मार्ट सिटी और नगर निगम की थी। ऐसे में इस मामले में तीनों के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है। लोकायुक्त की ओर से उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन समार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा है।
इनके अलावा उज्जैन स्मार्ट के निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिम्हा राव पांडुरंगी, मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान शामिल है। इसके अलावा अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया गया है।
महाकाल लोक में स्मार्ट सिटी द्वारा बनाए गए स्मार्ट पार्किंग में ओपन सरफेस शेड के टेंडर में तय बदलाव किए गए और ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए हल्की गुणवत्ता का समान लिया गया। इस तरह ठेकेदार को करीब एक करोड़ रुपए का लाभ मिला है।
इस मामले में भोपाल लोकायुक्त ने जांच शुरु की और उज्जैन में आकर बदले गए सामानों की जांच की। इस दौरान बहुत से दस्तावेज भी जब्त किये गए। इस बारे में तत्कालीन निगमायुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस देकर बयान दर्ज करने बुलाया भी गया। इसके बाद अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी किये गए।