बता दें कि एमपी में अब अपराध की जांच जल्द होगी। इससे पीड़ित को न्याय भी जल्द मिलने की संभावना और बढ़ जाएगी। प्रदेश के इतिहास में पहली बार अब कागजों पर नहीं बल्कि ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन होगी। हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसे जघन्य अपराधों के साथ-साथ सभी तरह के अपराधों की जांच इन्वेस्टिगेशन ऐप के जरिए होगी। यह एप्लीकेशन जल्द थाने स्तर पर पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के टेबलेट और मोबाइल फोन पर अपलोड होने जा रही है।
भोपाल/मध्यप्रदेश।
मध्यप्रदेश सरकार पुलिस को हाईटेक बनाने और उसके काम को आसान करने पर फोकस कर रही है। अभी पुलिस प्रशासन ने ई-एफआईआर को आम जनता के लिए लॉन्च किया था। अब इससे एक कदम आगे बढ़कर थानों में दर्ज होने वाले प्रकरणों की जांच के लिए इन्वेस्टिगेशन ऐप भी तैयार किया गया है। जिसके तहत
मध्यप्रदेश में ई-एफआईआर के बाद अब ई-इन्वेस्टिगेशन की तैयारी की जा रही है। एमपी में ई-एफआइआर का ट्रायल सफल रहा है। एमपी पुलिस द्वारा लागू ई-एफआइआर के ट्रायल रन को अच्छा प्रतिसाद (response) मिला है। 12 अगस्त को लागू इस व्यवस्था के तहत 17 सितंबर तक 328 एफआइआर दर्ज की गईं। दोहराव और ई-एफआइआर की श्रेणी में नहीं आने के कारण 107 आवेदन रद किए गए। अब ई-इंवेस्टिगेशन के लिए मोबाइल एप तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में जांच से लेकर कोर्ट में चालान पेश करने तक पूरी प्रक्रिया एप के माध्यम से पूरी की जाएगी।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार,राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक चंचल शेखर ने बताया कि ई-एफआइआर के माध्यम से वाहन चोरी एवं सामान्य चोरी (एक लाख से कम कीमत) की रिपोर्ट मोबाइल एप के माध्यम से की जा रही है। ट्रायल रन (परीक्षण अवधि) में कुल ई-एफआइआर में से मोटरसाइकिल चोरी की 69, साइकिल की पांच, मोबाइल की 31 एफआइआर दर्ज की गई है। इस दौरान 107 एफआइआर दोहराव, आरोपित का ज्ञात होना, घटना में मारपीट (बल प्रयोग) और गुम होने की रिपोर्ट के कारण निरस्त की गई।
शेखर ने बताया कि पूरे देश के आरटीओ की वेबसाइट को एक करना और मोबाइल फोन की स्थायी व्यवस्था की जानी है। पुलिस महानिदेशक ने 1100 मोबाइल फोन स्वीकृत किए हैं। यह थानों में स्थायी रूप से रहेंगे ताकि मोबाइल संदेश प्राप्त करने में हो रही दिक्कत समाप्त हो जाए।
हाईटेक होगी पुलिस,केस डायरी को डिजिटल किया जाएगा
शेखर ने बताया कि ई-इंवेस्टिगेशन (पुलिस विवेचना) के एप में घटनास्थल के वीडियो, गवाहों के कथन और घटना से संबंधित सभी साक्ष्य पीडीएफ रूप में सर्वर में सुरक्षित हो जाएंगे। केस डायरी का यही डिजिटल रूप कोर्ट में भी पेश किया जाएगा। इसके लिए 1800 टैबलेट खरीदे गए हैं, जो जांच अधिकारियों को दिए जाएंगे। प्रारंभिक रूप में इसे जिला मुख्यालयों पर लागू किया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय के स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) ने पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने अब इन्वेस्टिगेशन ऐप तैयार किया है। यह ऐप अंतिम चरण में है इस ऐप में एफआईआर, उसकी आगे की जांच और चार्जशीट पेश करने के तमाम ऑप्शन हैं। पुलिस की जांच पेपरलेस होगी इससे विवेचना से लेकर चार्जशीट तैयार करना आसान होगा जाएगा। घटनास्थल पर जाकर केस से जुड़े फोटो, वीडियो, बयान, पंचनामा की कार्रवाई भी इसी ऐप के जरिए ऑनलाइन की जा सकेगी। ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन ऐप से पुलिस का समय बचेगा और कागज की बर्बादी भी नहीं होगी। जांच का समय बचेगा तो लोगों को न्याय भी जल्दी मिलेगा।
आम जनता को मिलेगा फायदा,पेपरवर्क खत्म,न्याय जल्द मिलने की संभावना बढ़ेगी
आम जनता की शिकायत के बाद पुलिस इतने दस्तावेज बनाती है कि अपराध की ओर फोकस ही नहीं कर पाती।इस स्थिति में समय ज्यादा लगता है और पीड़ित व्यक्ति का पुलिस और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठने लगता है।जांच के दस्तावेज पर दस्तावेज बनने पर केस को समय पर कोर्ट में पेश करना मुश्किल होता है। जबकि,अब पुलिस की जांच तुरंत होगी उसे किसी भी तरह का पेपरवर्क नहीं करना होगा। इससे पीड़ित पक्ष की जांच की गति पहले से कई गुना बढ़ जाएगी। जांच की गति बढ़ेगी तो कोर्ट में केस भी जल्दी लगेगा। कोर्ट में केस जल्दी लगेगा तो न्याय भी जल्द मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
जाँच में पारदर्शिता बढ़ेगी
किसी भी आपराधिक जांच के दौरान पुलिस पर जांच में भेदभाव करने के आरोप लगते हैं। ऐसे में ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन होने से हर तरह की जांच में पारदर्शिता आएगी। इस इन्वेस्टिगेशन ऐप में सुपरविजन की व्यवस्था भी की गई है। यानी,जांचकर्ता पुलिसकर्मी जो भी जानकारी इस ऐप पर अपलोड करेगा, वह जानकारी थाना प्रभारी, सीएसपी, एसपी से लेकर एडीजी तक जाएगी। इसमें अगर किसी तरीके की कोई कमी नजर आएगी, तो उसे दूर करने के तुरंत निर्देश दिए जा सकेंगे।