“अपनों पर सितम,गैरों पर करम”
उत्तरप्रदेश...........
आखिर क्यों जवान अपने ही सिस्टम से हार जाते हैं?? आखिर क्यों जवानों के बलिदानों को भूला दिया जाता है। अपने फर्ज को निभाते हुए कभी भी इस दरोगा ने ये नही सोचा होगा कि उसका बलिदान बेकार जाएगा। शायद यही कारण है कि दरोगा का परिवार आज दाने-दाने को मोहताज है। मामला उत्तरप्रदेश में अपनी ड्यूटी करते हुए शहीद हुए दरोगा मनोज मिश्रा के परिवार का है। चार साल हो गए इस परिवार को आज तक न्याय नहीं मिला। अखिलेश के राज में गौतस्करों द्वारा गोली मारे जाने की वजह वो शहीद हुए। भाजपा ने उस समय इस मुद्दे को खूब भुनाया लेकिन आज सब इनको भूल गए। आज सोशल मीडिया पर इस परिवार की मदद करने की अपील की जा रही है।
इससे पहले दिसंबर में दरोगा मनोज मिश्रा हत्याकांड का मुद्दा फिर से उठाया गया। दरोगा के परिजनों ने अन्य संगठनों के साथ धरना दिया। साथ ही श्रद्धांजलि सभा के बाद हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग फिर उठाई गई।
क्या था मामला............
हरदासपुर गांव के रहने वाले दरोगा मनोज मिश्रा की बरेली के फरीदपुर में पशु तस्करों ने वर्ष 2015 में गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने दावा किया किया था कि दरोगा मनोज मिश्रा की मौत मुठभेड़ में हुई थी। पुलिस ने इस मामले में फरीदपुर के पशु तस्कर गिरोह को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन भाजपा और दरोगा का परिवार पुलिस खुलासे से संतुष्ट नहीं था। हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग उठती रही। भाजपा ने इसे मुद्दा बनाकर लड़ाई भी लड़ी। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी से लेकर सांसद वरुण गांधी तक ने इस हत्याकांड की सही जांच की मांग उठाई। परिजन इससे पहले इस मांग को लेकर तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से भी मिले थे,लेकिन उन्होंने सीबीआई जांच की मांग पर यकीन नहीं जताया।
No1 Police डॉट कॉम की मांग.............
No1 Police डॉट कॉम पुलिस विभाग के आला अधिकारियों से माँग उठाता है कि शहीद मनोज मिश्रा के बलिदान की अगर थोड़ी सी भी कदर हो तो परिवार को अविलंब तत्काल प्रभाव से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। जिससे मातृभूमि पर बलिदान होने वाले जवानों की सहादत बेकार न जाए।