भोपाल/मध्यप्रदेश……
दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान ग्वालियर चंबल और सागर में हुए उपद्रव का ठीकरा अफसरों के सिर फूटेगा। जिन जिलों में ज्यादा हिंसा और जान माल की हानि हुई है, वहां के स्थानीय नेता एवं कुछ जिलों के प्रभारी मंत्रियों ने पुलिस-प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
ऐसे में सरकार क्षेत्र में शांति स्थापित होते ही भिंड, मुरैना, ग्वालियर, अशोकनगर, सागर एवं भोपाल जिलों में पुलिस एवं प्रशासन के अफसरों को हटा सकती है। जिनमें एसपी, कलेक्टर स्तर के अफसर भी प्रभावित होंगे। मुरैना की प्रभारी मंत्री माया सिंह की हिंसा को लेकर सरकार को दी गई मौखिक रिपोर्ट से भाजपा के उन नेताओं को भी मौका मिल गया, जिनकी अफसरों से पटरी नहीं बैठ रही थी।
मंत्री की मौखिक रिपोर्ट पर उठे सवाल…….
इधर प्रशासनिक हलकों में मंत्री माया सिंह की मौखिक रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि हिंसा के समय मंत्री भिंड, मुरैना में नहीं थी।
वे ग्वालियर में अपने निवास पर ही रहींं और सीधे भोपाल आईं, फिर बिना पड़ताल के किस आधार पर पुलिस को जिम्मेदार बता दिया।
माया सिंह मुरैना की प्रभारी मंत्री भी हैं।
अफसरों पर गिरेगी गाज…….
हिंसा को लेकर ग्वालियर चंबल से अफसरों का हटना तय हो चुका है। यदि सरकार तत्काल कार्रवाई करती है तो यह माना जाएगा कि कानून व्यवस्था में सरकार फेल रही है। इसलिए फिलहाल किसी अफसर को नहीं हटाया जाएगा। हालांकि चुनाव हो लेकर बड़ा फेरबदल होना है। जिसमें डेढ़ दर्जन करीब एसपी और एक दर्जन जिलों के कलेक्टर बदले जाना है।
2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान ग्वालियर, भिंड एवं मुरैना में 8 लोगों की मौत एवं भारी नुकसान पर सरकार घिरी है। अन्य शहर अशोकनगर,मालवा, सागर में भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर एससी/एसटी संगठनों के विरोध से जुड़ा है, लिहाजा विरोधी राजनीतिक दल भी इसे तूल देने से बच रहे हैं।
घटना के बाद सरकार को इंटेलीजेंसी की पूरी रिपोर्ट मिल चुकी है, जिसमें कुछ अफसरों की चूक भी सामने आई है।
अफसरों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल……..
ग्वालियर-चंबल के एक एसपी के बारे में नेताओं की ओर से कहा गया है कि उन्होंने जिन दलित नेताओं से शांति बहाली की चर्चा की, वे नेता हिंसा के दौरान गायब रहे। साथ ही भिंड में बिगड़े हालात के लिए कलेक्टर-एसपी व रेंज आईजी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
रेंज आईजी और भिंड एसपी के बीच संवाद की कमी का भी जिक्र किया गया है।
मुरैना कलेक्टर एवं एसपी की कार्यप्रणाली पर भी नेताओं ने सवाल उठाए हैं।
एक मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने अपने हिसाब से ही कानून-व्यवस्था संभाली।
स्थानीय नेताओं ने अधिकारियों के सूझ-बूझ की तारीफ की…….
स्थानीय नेताओं ने सरकार तक यह बात पहुंचाई है कि मुरैना में सवर्ण युवक की हत्या के बाद जिस तरह के हालात बने, तब यदि दोनों अधिकारी सूझबूझ का परिचय नहीं देते तो मुरैना में जातीय संघर्ष को रोकना मुश्किल हो जाता।
पुलिस-प्रशासन की सख्ती का असर था कि ग्वालियर, भिंड की अपेक्षा मुरैना में पथराव, आगजनी एवं छेड़छाड़ जैसी घटना नहीं हुई। जो मौत का मामला सामने आया है, वह आपसी रंजिश के चलते हत्या की गई।
आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।